जंक फूड क्या है और फास्ट फूड क्या है ?
आजकल जंक फूड का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। समय की कमी तथा भाग-दौड़ की दिनचर्या के कारण, हम में से कुछ लोग फास्ट फूड पर ही निर्भर रहते हैं ।
विशेषकर MNCs में काम करने वाले युवक-युवतियां, स्कूलों के बच्चे तथा कॉलेजों के विद्यार्थी और अब तो छुट्टी वाले दिन ब्रेकफास्ट में “ओम” के गरमागरम छोले भठूरे या ‘नत्थू की बेडमी-सब्जी या फिर ‘कन्हैया’ की नगौरी हलवा होना ही चाहिए।
आइये जानें, फास्ट फूड क्या है और जंक फूड क्या है? फास्ट फूड शब्द का प्रयोग रेस्टोरेंट में तुरंत बनने वाले खाने के लिए किया जाता है। फास्ट फूड वह है जिसमें पहले से ही सारी तैयारी कर ली जाती है अर्थात् पहले से ही उबालकर या पकाकर फ्रीजर में रख दिया जाता है और माँगने पर तुरंत गरम करके बेचा जाता है। उदाहरण के लिए, मैकडोनल्ड का खाना ।
जंक का अर्थ होता है, कबाड़’ यानी कि ऐसा खाना जिसमें कैलोरी ज्यादा हैं और पौष्टिकता बहुत कम। इसे परोसना आसान होता है और चलते-फिरते खाना भी। जैसे: फ्रेंच फ्राइज, चिप्स, वेफर्स, समोसे, पैटीस, बर्गर आदि ।
जंक फूड देखने में आकर्षक और स्वादिष्ट लगते हैं। सभी आयु वर्ग के व्यक्ति पसंद करते हैं। जंक फूड खाने पर, जल्दी-जल्दी भूख लगती है और जल्दी-जल्दी खाना खाने की प्रवृत्ति उत्पन्न होती है।
जन्म दिन, शादी की सालगिरह तथा ब्याह-शादियों या पार्टियों में पहले स्नैक्स ही परोसे जाते हैं। ये फास्ट फूड या जंक फूड ही होते हैं। ये प्रायः तैलीय होते हैं और इनमें ट्रांसफैट होता है अर्थात् एक ही तेल में खाने की चीज को बार-बार तला जाता है।
दिल की धमनियों में जमा होकर यह ट्रांसफैंट हार्ट अटैक का कारण बनता है। इनके पचाने में कठिनाई होती है। और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को कम करते हैं। जंक फूड तेजी से वजन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ होते. हैं और शरीर पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, यथा आलसी बनाते हैं, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह आदि को आमन्त्रित करते हैं।
जिन पदार्थों में नमक, चीनी, फैट, घी, कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट्स व वसा खूब होती है लेकिन पौष्टिक तत्व बहुत कम होते हैं, वे जंक फूड कहलाते हैं। मुख्यतः ये मैदा से बनते हैं, जो सुपाच्य नहीं होते। इनका लगातार सेवन करने से पाचन प्रणाली खराब हो जाती है। चाइनीज़ नूडल्स बनाते समय फ्लेवर की बेहतरी के लिए मोनो सोडियम ग्लूफ्मेट डालते हैं, जिसके थोड़ा-सा ज्यादा इस्तेमाल होने से हाथ-पैरों में कमजोरी, सीने में जलन होती है तथा अस्थमा, एलर्जी के रोगियों पर बुरा असर पड़ता है।
नमक और ऑयली फूड खाने के बाद प्यास लगती है और सॉफ्ट ड्रिंक पीने के लिए मन लालायित होता है। कोल्ड ड्रिंक में फॉस्फोरिक एसिड जैसे खतरनाक रासायनिक तत्व होते हैं, जिससे आंत्रशोथ जैसा रोग हो सकता है।
हाल ही में हुई एक ताजा रिसर्च के अनुसार, कम उम्र के बच्चों व युवक-युवतियों में बढ़ रहे मोटापे की सबसे बड़ी वजह फास्ड फूड ही है और टीवी पर आने वाले विज्ञापनों की इसमें अहम भूमिका है।
माता-पिता भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। उन्हें भी जंक फूड स्वादिष्ट लगता है। जंक फूड खाना स्टेटस सिंबल भी समझा जाता है। जोमेटो, स्विग्गी आदि द्वारा होम डिलीवरी से जंक फूड की उपलब्धता सुलभ हो गई है।
पास्ता, बर्गर, पेस्ट्री, हॉट डॉग, पाव भाजी, ब्रेड, कटलेट, डोनट्स, चाउमिन, नूडल्स, पकौड़े, बड़ा-पाव, टिक्की, वेफर्स, कचौरी, मोमोज, फ्रेंच फ्राइज, स्प्रिंग रोल्स, पैटीज, क्रैक्स, पिज्जा आदि जंक फूड के कुछ उदाहरण हैं।
जंक फूड के नियमित उपयोग से मसूड़े खराब होने लगते हैं, हॉर्मोन्स का असुन्तलन बनता है। तामसिक वृत्ति में वृद्धि होती है, सहनशीलता घटती है, जल्दी-जल्दी गुस्सा आता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घट जाती है।
पाचन-तंत्र बिगड़ता है, लिवर संबंधी समस्याएं हो जाती हैं, कब्ज, बवासीर, मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह, मानसिक रोग, ब्रैस्ट कैंसर, जोड़ों का दर्द आदि रोगों को निमन्त्रण मिलता है।
यदि इनमें से कुछ पदार्थ घर पर ही मैदा के बजाए आटे से बनाए जाएं और उनमें काफी मात्रा में क्रश करके सब्ज़ियां मिला दी जाएं, तो वे जंक फूड की श्रेणी में नहीं आएंगे और अधिक स्वादिष्ट, सुपाच्य एवं पोषक तत्वों से भरपूर रहेंगे।
जंक फूड की अपेक्षा भुने चने, मुरमुरे, मखाने, मूंगफली के दाने, अंकुरित अनाज, मौसम के फल, दही तथा एरेटिड ड्रिंक्स के बदले सत्तू, नींबू पानी, छाछ, शिंकजी, गन्ने का रस, तरबूज का रस, सब्जियों का सूप, बेल का रस, सलाद, मैंगो शेक आदि लाभदायक पेय अपनाने चाहियें।