चिंतपूर्णी चालीसा
चित में बसो चिंतपूर्णी ।
छिन्न मस्तिका मात ॥
सात बहन की लाडली ।
हो जग में विख्यात ॥
माईदास पर की कृपा ।
रूप दिखाया श्याम ॥
सबकी हो वरदायनी ।
शक्ति तुम्हें प्रणाम ॥
छिन्न मस्तिका मात भवानी ।
कलि काल में शुभ कल्याणी ॥
सती आपको अंश दिया है ।
चिंतपूरणी नाम किया है |२|
चरणों की है लीला न्यारी ।
चरण को पूजे हर नर-नारी | ३ |
देवी देवता है नतमस्तक ।
चैन न पाये भजे न जब तक |४|
शान्त रूप सदा मुस्काता ।
जिसे देखकर आनन्द आता ।५।
एक ओर कालेश्वर साजे ।
दूजी ओर शिब बाड़ी विराजे । ६ ।
तीजी और नारायण देव ।
चौथी ओर मचकूंद महादेव |७|
लक्ष्मी नारायण संग विराजे ।
दस अवतार उन्हीं में साजे |८|
तीनों द्वार भवन के अन्दर ।
बैठे ब्रह्मा, विष्णु शंकर |९|
काली, लक्ष्मी, सरस्वती मां ।
सत, रज, तम से व्याप्त हुई मां |१०
हनुमान योद्धा बलकारी ।
मार रहे भैरव किलकारी |११|
चौंसठ योगिनी मंगल गावें ।
मर्दंग छैने महंत बजावें ॥१२॥
भवन के नीचे बाबड़ी सुन्दर ।
जिसमें जल बहता है झर-झर ।१३।
सन्त आरती करें तुम्हारी ।
तुम्हें पूजते हैं नर नारी |१४|
पास है जिसके बाग निराला ।
जहां है पुष्पों की वनमाला |१५|
कंट आपके माला विराजे ।
सुहा-सुहा चोला अंग है साजे |१६|
सिंह यहां सन्धया को आता ।
छिन्न मस्तिका शीश नवाता । १७।
निकट आपके है गुरुद्वारा ।
जो है गुरू गोविन्द का प्यारा । १८ ।
रणजीत सिंह महाराज बनाया ।
तुम्हें स्वर्ण का छत्र चढ़ाया । १९।
भाव तुम्हीं से भक्ति पाया ।
पटियाला मन्दिर बनवाया । २० ।
माईदास पर कृपा करके ।
आई होशियारपुर विचर के ।२१।
अटूर क्षेत्र मुगलों ने घेरा ।
पिता माईदास ने टेरा |२२|
अम्ब क्षेत्र के पास में आये ।
दो पुत्र कृपा से पाये । २३।
वंश माई ने फिर पुजवाया ।
माईदास को भक्त बनवाया ।२४।
सौ घर उसके हैं अपनाये ।
सेवारत हैं जो हर्षाये ।२५।
चार आरती हैं मंगलमय ।
प्रातः, मध्य और संध्यामय । २६ ।
असोज चैत्र मेला लगता ।
पर सावन में आनन्द भरता । २७ ।
पान सुपारी ध्वजा – नारियल चढ़ाऊं ।
हलवा, चना का भोग लगाऊं । २८।
छत्र व चुन्नी शीश चढ़ाऊँ ।
माला देकर तुम्हें मां ध्याऊँ । २९।
मुझको मात विपद ने घेरा ।
जय माँ जय माँ आसरा तेरा |३०|
नयना देवी तुम्हें देखकर ।
मुस्काती है मैया तुम पर |३२|
ज्वाला से तुम तेज हो पाती ।
नगरकोट की छवि है आती । ३१ ।
अभिलाषा मां पूरन कर दो ।
हे चिंतपूरणी झोली भर दो । ३३ ।
ममता वाली पलक दिखो दो ।
काम क्रोध, मद, लोभ हटा दो । ३४।
सुख-दुःख तो जीवन में आते ।
तेरी दया से दुःख मिट जाते । ३५।
चिन्तपूरणी चिन्ता हरणी ।
भय नाशक हो तुम भय हरणी । ३६ ।
हर बाधा को आप ही टालो ।
इस बालक को आप संभालो । ३७।
तुम्हारा आर्शीवाद मिले जब ।
सुख की कलियां खिलें सभी तब । ३८।
कहाँ तक तुम्हारी महिमा गाऊँ ।
द्वार खड़ा हो विनय सुनाऊँ । ३९।
चिन्तपूरणी मुझे अपनायो ।
सेवक को भव पार लगाओ ।४०।
दोहा
चरण आपके छू रहा हूँ
चिन्तपूरणी मात ।
लीला अपरम्पार है,
हो जग में विख्यात ।
चिंतपूर्णी चालीसा
- Shri ganesh chalisa
- श्री शनि चालीसा
- कृष्ण चालीसा
- श्री लक्ष्मी चालीसा – धन की कभी कमी नहीं होगी
- श्री विश्वकर्मा चालीसा
- श्री नवग्रह चालीसा
- श्री भैरव चालीसा
- श्री बटुक भैरव चालीसा
- ब्रह्मा चालीसा
- विष्णु चालीसा
- सूर्य देव चालीसा
- राम चालीसा
- गोपाल चालीसा
- श्री हनुमान चालीसा
- श्री तुलसी चालीसा – धन्य धन्य श्री तुलसी माता
- ललिता माता चालीसा – जयति जयति जय ललिते माता
- श्री सरस्वती चालीसा – जय श्री सकल बुद्धि बलरासी
- श्री गंगा चालीसा – जय जय जननी हराना अघखानी
- श्री महालक्ष्मी चालीसा – नमो महालक्ष्मी जय माता
- श्री कुबेर भण्डारी – जय जय जय श्री कुबेर भण्डारी
- श्री रामदेव चालीसा – द्वारकेश से आय कर, लिया मनुज अवतार
- श्री गिरिराज चालीसा
- श्री बालाजी चालीसा
- श्री परशुराम चालीसा
- श्री शारदा चालीसा – जय जय जय शारदा महारानी।
- श्री नर्मदा चालीसा – जय जय जय नर्मदा भवानी
- श्री अन्नपूर्णा चालीसा -नित्य आनन्द करिणी माता
- श्री पार्वती चालीसा – ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे
- श्री वैष्णो चालीसा – नमो: नमो: वैष्णो वरदानी।
- श्री राधा चालीसा – जय वृषभान कुँवरि श्री श्यामा
- श्री महाकाली चालीसा -जय काली कंकाल मालिनी।
- श्री काली माता चालीसा – जय जय जय काली कंकाली।
- श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा – जय जय जय विन्ध्याचल रानी।
- श्री शीतला चालीसा – विस्फोटक से जलत शरीरा
- श्री पितर चालीसा – हे पितरेश्वर आपको दे दियो आशीर्वाद ।
- श्री राणी सती चालीसा – श्री गुरु पद पंकज नमन,दूषित भाव सुधार
- श्री बाबा गंगाराम चालीसा – अलख निरंजन आप हैं,निरगुण सगुण हमेश
- श्री प्रेतराज चालीसा – जय जय प्रेतराज जग पावन
- श्री महावीर चालीसा – जय महावीर दयालु स्वामी
- श्री जाहरवीर चालीसा – जय जय जय जाहर रणधीरा
- श्री गोरखनाथ चालीसा -जय जय गोरख नाथ अविनासी
- श्री रविदास चालीसा – जै होवै रविदास तुम्हारी
- श्री साईं चालीसा – पहले साई के चरणों में, अपना शीश नमाऊं मैं
- श्री शाकम्भरी चालीसा – शाकम्भरी माँ अति सुखकारी