भजन – गुरु भक्ति कमा प्रेमी गुरु की महिमा गा प्रेमी
तर्ज :-बदल जाए अगर माली, चमन होता नही खाली
टेक – गुरु भक्ति कमा प्रेमी, गुरु की महिमा गा प्रेमी
यह दुनियां चलती आई है, यह दुनिया चलती जाएगी……..
गुरु भक्ति कमा प्रेमी…….
1. ये अपने क्या बेगाने क्या, सभी स्वार्थ के नाते है
दरो दीवार फानी हैं, ये झूठे रिश्तें नाते हैं
न चित इनमें फंसा प्रेमी, न धोखा इनसे खा प्रेमी……..गुरु भक्ति प्रेमी
2. गुरु कृपा से टूटेगा, तेरा जब माया का सपना
तभी तू जान पायेगा जगत मे कौन है अपना
गुरु भक्ति कमा प्रेमी, गुरु की महिमा गा प्रेमी…….गुरु भक्ति
3. कोई रोकें कोई टोकें, तू अपनी धुन में गाता चल
किसी भी मोड़ से गुजरें, चलें सिमरन तेरा पल पल
सुरत की तार न टूटे, सिदक की डोर न छूटे … गुरु भक्ति प्रेमी
4. प्यारे दीन को अपने, छिपा ले दुनिया दारी में
तू बो दे बीज सेवा के, परम हँसो की क्यारी में
महक उठे चमन सारा, हृदय में झाकें उजियारा….गुरु भक्ति प्रेमी
5. गुरु दाता – पिता माता – गुरु की महिमा भारी है
त्रैलोकी के है स्वामी, सदगुरु की दात प्यारी हैं
गुरु से जोड़ ले नाता, चुका ले करमों का खाता….गुरु भक्ति प्रेमी
6. गुरु की रहमतें लेकर, मुरम्मत कर मुकद्दर की फिदा हों अपने सदगुरु पर, तू कर खिदमत गुरु घर की उठा लें लाभ जीवन का, यही मकसद है नर तन का…… गुरु भक्ति