क्या है गगनयान मिशन
चांद और सूरज के बाद भारत अंतरिक्ष में एक और इतिहास रचने की तैयारी कर रहा है। गगनयान मिशन में कामयाबी मिलने पर अमरीका, चीन और रूस के बाद भारत मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन भेजने वाला चौथा देश बन जाएगा। गगनयान मिशन अगले साल लॉन्च होगा। इसके शुरूआती चरणों को इसी साल पूरा किया जा सकता है। इनमें दो मानवरहित मिशन अंतरिक्ष में भेजना शामिल है। इन मिशन की कामयाबी के बाद ही अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा।
गगनयान मिशन के लिए कौन से पायलट चुने गए है
प्रशांत नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप, शुभांशु शुक्ला
‘गगनयान मिशन‘ में जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के नामों की घोषणा हो गई है। ये देश के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- ‘गगनयान’ के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं। अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला गगनयान मिशन के लिए चुने गए अंतरिक्ष यात्री हैं।
ये सभी अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के टैस्ट पायलट हैं। इनके चयन के लिए ‘इसरो’ और आई.ए.एफ. के इंस्टीच्यूट ऑफ एयरोस्पेस मैडिसिन (आई.ए.एम.) जिम्मेदार थे । भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा के अनुसार टैस्ट पायलट होने से उन्हें बढ़त मिलती है क्योंकि वे खुद को बेहतर तरीके से तैयार करने में अनुभवी होते हैं।
इसके अलावा, यदि चीजें योजना के अनुसार नहीं होती हैं, तो उनकी महारत और अनुभव काम आता है और उन्हें स्थिति का विश्लेषण करने में मदद मिलती है। यह उन्हें स्वाभाविक पसंद बनाता है। अंतरिक्ष उड़ान के लिए आवश्यक परिस्थितियों के अनुकूल ढलने के लिए उन्हें शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रशिक्षित किया गया है।
विभिन्न प्रकार के विमान उड़ाने के कारण, वे जल्दी ही नई प्रणालियों से परिचित हो गए हैं। वे विभिन्न प्रकार के दबावों और गुरुत्वाकर्षण के विरुद्ध काम करने के भी आदी हो गए हैं। सभी टैस्ट पायलट लड़ाकू स्ट्रीम से हैं।
इन चारों ने रूस में अपना शुरूआती प्रशिक्षण समाप्त करने के बाद बेंगलुरु के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में अपने भारत मॉड्यूल का पहला सिमैस्टर पूरा कर लिया है।