कैलाश पर्वत पे बस गयो रे लिरिक्स

कैलाश पर्वत पे बस गयो

कैलाश पर्वत पे बस गयो रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

शीश भोले के गंगा विराजे
गंगा से सारा जग तर गयो रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

कान भोले के कुंडल सोहे है
कुंडल में बिच्छू लटक गयो रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

गले भोले के माला सो हैं
माला पे सर्प लटक गयो रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

हाथ भोले के त्रिशूल विराजे
त्रिशूल में डमरू लटक गयो रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

संग भोले के गौरा विराजे
गौरा की गोदी में गणपति रे
सज गयो भोला सवर गयो रे

कट प्रीता नाल चरखा सिमरन दा

मेरे भोले तुझे ये कसम है अपने चरणों का दास बना ले

डमरू बजाए भोलेनाथ गौरा मैया नाच रही लिरिक्स
कैलाश पर्वत पर भोले बाबा का बसेरा है
महादेवा ओ महादेवा सारी उमर करूं मैं तेरी सेवा
वे मोहना तंदा प्यार दियां कचीयां तंद मरोड़ी न
मेरे भोले मुझे तू चाहिए

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