कॅरियर में सक्सेस के लिए क्या करें

कॅरियर में सक्सेस

कॅरियर में सक्सेस

आजकल महिलाओं की अस्मिता पर बहुत अधिक जोर है। ‘सीखें खुद से प्यार करना’, ‘अपने लिए भी जिएं’, ‘ना करना भी सीखें’, ‘स्वयं अपनी शोषिका न बनें।’ इत्यादि इत्यादि विषयों की भरमार है। वक्त ने करवट ली और पुरानी विचारधाराएँ बदलने लगी। आज का लाइफ स्टाइल पहले से बहुत अलग है।

इस माहौल में पुरानी विचारधारा सही नहीं बैठती। अगर आज लड़कियों को बहुत सब मिसिब, दब्बू, शर्मीली, हर बात में सिर झुकाकर ‘हाँ जी-हाँ जी’ करने, त्याग की प्रतिमूर्ति बनने की ही शिक्षा दी जाए, तो उसके व्यक्तित्व में वो दृढ़ता नहीं आ पायेगी, जिसकी उसे जरूरत है और इसी के चलते कॅरियर की बुलंदियों को छू पाने का उसका सपना भी धरा रह जाता है तथा पुरुष आगे निकल जाते हैं।

वास्तव में जो कोई भी डिजर्व करता है, उसे ही वहाँ पहुँचने का हक होना चाहिए। अपनी योग्यता के बावजूद अगर स्त्री पिछड़ जाती है, तो हो सकता है कि इसके पीछे कारण उसके व्यक्तित्व का ढुल-मुल होना हो।

लक्ष्य निर्धारित करें

बगैर लक्ष्य निर्धारित किए काम नहीं बनेगा। अपने को टटोलें, आपको जिंदगी से क्या चाहिए, क्या आप कॅरियर को लेकर गंभीर है या फिर आपके लिए ये सिर्फ टाइम पास, समय गुजारने का शगल है?।

संभव नहीं सबको खुश रखना

ये बात मानकर चलें कि सबको एक साथ खुश रख पाना संभव नहीं और अगर अनेक रिश्तों में कोई आपसे रूठता है, आपसे ईर्ष्या रखता है, आपके लिए बुरा सोचता है, आपकी बुराई करता है, तो इसमें आपको अपराध बोध से ग्रस्त होने की कतई जरूरत नहीं। यह नेचर है कि कोई किसी को तरक्की करते देख, खुशहाल होते देख खुश नहीं होता। आपको ऐसे में अपने से ही मतलब रखना चाहिए।किसी का बुरा न करें, लेकिन अपना बुरा भी न होने दें।

बाहर काम करना है, तो व्यक्तित्व को दबंग बनाकर ही सर्व लाईव किया जा सकता है। अपने पर किसी को हावी न होने दें।नूरी अपने कार्य में कुशल थी। उसे जल्दी प्रमोशन मिलते गये और वो प्रोजेक्ट मैनेजर बन गई। अपने मातहत पुरुष वर्ग के लिए वो बेहद लीनियंट थी।

उसे लगता था कि औरतें नौकरी करके घर की रोजी- रोटी चलाने वाले पुरुषों का हक मार रही है और यह कि औरत के अधीन काम करने से उनके अहम् को ठेस पहुँचती है। नतीजा यह था कि कंपनी का अनुशासन बिगड़ने लगा। ऑफिसकर्मी जब-तब बहाने बनाकर देर से आते, छुट्टियाँ लेते और पीठ पीछे उसका मजाक बनाते।

वक्त के साथ कदमताल करें

बदलते परिवेश के अनुरूप अपने विचारों और गतिविधियों को ढाल लेना ही आगे बढ़ने का गुर है। मान्यता और संस्कारों के नाम पर औरत की छुई मुई, सेल्फ-इफेसिंग इमेज से चिपके रहने से कॅरियर में प्रगति के रास्ते बंद हो जायेंगे। हालाँकि धर्म गुरुओं की सीख होती है कि पैसे को महत्व न हो, पैसा तो हाथ का मैल है, लेकिन यहाँ तो कॅरियर का मतलब ही पैसा कमाना है। फिर आज की दुनिया में पैसा बहुत बड़ी शक्ति है, सपोर्ट है, सिक्योरिटी है।

बगैर पैसे के व्यक्ति हैंडीकैप है। पैसा है, तो इज्जत है, नहीं तो जिल्लत ही जिल्लत ! इसलिए वेतन बढ़ाने की बात होनें पर बगैर झिझक के अपनी माँग रखें। इस संबंध में मैनेजमेन्ट से वार्गेन करने में भी कोई बुराई नहीं है।

सेल्फ रिसपेक्ट न खोयें

अक्सर कार्यस्थल में युवतियाँ यौन शोषण का शिकार हो जाती है और नौकरी जाने के डर से वे चुपचाप जुल्म सहन करती रहती है।कभी स्वयं आगे बढ़ने के लिए किसी भी हद तक समझौते के लिए तैयार हो जाती हैं।

ऐसा करने से उनका स्वाभिमान आहत होता है, उसमें हीनभावना भरने लगती है, जो उनके व्यक्तित्व को कुंठित करके रख देती है। ऐसा करके युवतियाँ स्वयं अपनी नजरों में गिर जाती हैं।

किसी महानुभाव ने ठीक ही कहा है कि अगर चाहते हो कि लोग आपकी इज्जत करें, तो पहले स्वयं अपनी इज्जत करना सीखो । बेवजह हरदम चापलूसी करने की आदत से बचें। अपने काम पर ध्यान दें। उससे ही आपका कॅरियर बनेगा और वो भी पूरी इज्जत के साथ।

बाह्य छवि पर भी ध्यान दें

किसी ने कहा है कि ‘यू आर व्हॉट यू लुक’, यह पूरा सच भले ही न हो, लेकिन आपके रख-रखाव, वेशभूषा, मेकअप और अच्छे लुक्स का सामने वाले पर गहरा प्रभाव पड़ता है।

इसका फायदा आपको हर तरह से मिलता है, इसमें दो राय नहीं। इसलिए, अपने को टिप-टॉप रखना, सलीके से वस्त्र पहनना और प्लेजेंट दिखने के लिए हल्का-सा मेकअप करना आपके हक में सही रहेगा। कॅरियर में प्रभावशाली व्यक्तित्व की अहमियत को नकारा नहीं जा सकता।

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