कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
मथुरा छूटी, छुटी द्वारिका, इंद्रप्रस्थ ठुकराऊं
बंसी छूटी, गोकुल छूटा, कब तक चक्र उठाऊं
पिछले जन्म जानकी तुझ बिन जैसे तैसे बीता
महासमर में रीता रीता, कब तक गाउ गीता
और अभी कितने जन्मों तक तुझे दूर बिताऊं
कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
बचपन से प्रभुता का बोजा ढोते कटी जवानी
हरपल षडयंत्रो में उलझी सांसे आनी जानी
युग की आंखे अमृत पीती रही मुझे तक तक कर
अधर मधुर देखे सबने पर पीड़ा न पहचानी
इस पीड़ा को यार सुदामा कबतक महल दिखाऊ’
कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
दो माँओ ने लाड लड़ाया, दो चहेरो ने चाहा
फिर भी भरी द्वरिका मे मैं खुदको लगा पराया
मेरा क्या अपराध के मेरा गाँव गली घर छूटा
आँचल से बिछडे को जग ने पीताम्बर पहनाया
जग चाहे जाते जाते भी बंसी मधुर बजाऊ,
कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
जग भरके अपराध सदा हीं, अपने शीश उठाये
रस का माखन सभने चाखा, चोर हमी कहलाये
युग के दुर्योधन के जब जब अहंकार को कुचला
दुनिया जीती, गांधारी के शाप हमी ने खाये
मुझको गले लगाओ या में ही गले लगाऊ,
कब तक गीत सुनाऊं राधा कब तक गीत सुनाऊं
कुमार विश्वास
जरा बंसी बजा मोहना हम रास रचाएंगे लिरिक्स
जब फूल खुशी में मुस्काया – कविता | सड़कों पर सम्भल कर – कविता |
तितली पर कविता | सूरज पर कविता |
साइकिल पर कविता | बच्चों पर कविता |