भजन – आसलगी तेरे दर्शन की आस लगी तेरे दर्शन की
तर्ज :- मै तुलसी तेरे आंगन की
टेक : आसलगी तेरे दर्शन की आस लगी तेरे दर्शन की
तरस बड़ी तेरी, तरस बड़ी तेरी, तरस बड़ी तेरी चितवन की
आस लगी तेरे दर्शन की, आस लगी.
1. मै हूँ चकोर तू चाँद है मेरा…………
तू मेघा मैं चातक तेरा……….बरसे बदरिया सावन
की…….आस लगी तेरे दर्शन की
2. दर्द विरह का सहा नही जायें……….
कहा भी न जाए, रहा भी न जाये………
विकल दशा जैसे विरहन की……. आस लगी तेरे दर्शन की
3. अजब प्रेम के ताने बाने……..
यह तुम जानो या हम जानें……….
और न जाने गति मन की ……….. . आस लगी तेरे दर्शन की
4. आकर सुधिलो प्राण प्यारे…..संकट में है प्राण हमारें………
प्रीत जुड़ी कई जन्मों की……..आस लगी तेरे दर्शन की
5. तन भी तेरा, मन भी तेरा……….
सब कुछ तेरा, कुछ नहीं मेरा…………
लाज़ रहे मेरे असुंअन की……… आस लगी तेरे दर्शन की
6. सूना पड़ा है दिल का सिंहासन…….
ललक रही आँखे हर पल छिन्न ……………
बात करो प्रभु आवन की…………..
आस लगी तेरे दर्शन की………….
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