जब हम आंख बंद करते हैं तो हमें अंधेरा दिखाई देता है और हम इसे काला रंग समझ लेते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। जब अंधेरा होता है या हम अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, तो हमारी आंखें वे रंग दर्ज नहीं कर पातीं, ऐसे में हम जो देखते हैं वह काला महसूस होता है लेकिन यह गहरा भूरा रंग होता है, बहुत गहरा भूरा रंग, इतना ज्यादा कि वह काला प्रतीत होता है।
इस गहरे भूरे रंग का एक नाम है – इसे’ आइगेंग्राउ’ (Eigengrau) कहा जाता है। जर्मन भाषा में इसका अर्थ ‘आंतरिक ग्रे’ होता है और यही वह रंग है जिसे हमारी आंखें तब देखती हैं जब वे अंधेरे के साथ तालमेल बिठा रही होती हैं।
कई बार आंख बंद करने पर हमें अंधेरे के बीच चमक-सी भी महसूस होती है। यह एक तरह का ऑप्टिकल भ्रम होता है, जो तब होता है जब रेटिना में रोशनी के प्रति संवेदनशील कोशिकाओं को उत्तेजित किया जाता है। इसे ‘फॉस्फीन’ कहते हैं।
आंख बंद करने पर अलग-अलग लोगों को ‘फॉस्फीन’ अलग-अलग तरह से महसूस हो सकता है। कुछ लोगों को यह काले रंग में महसूस हो सकता है, तो वहीं कुछ को फॉस्फीन अन्य रंगों में दिखाई देता है। फॉस्फीन का असर आमतौर पर कुछ ही पलों का होता है। उसके बाद यह खुद ब खुद दूर हो जाता है।