रूहानी अरदास
पारब्रह्म सतगुरु भगवान, बक्शों भक्ति का वरदान।
मात पिता तुम बंधु सहाई, महिमा तुम्हारी बरनी ना जाए।
तुम बिन देव ना मानूं दूजा, बक्शों चरण कमल की पूजा।
जन्म मरन का संकट हर दो, नाम रतन से झोली भर दो।
नाम जपु तेरा दिन राती, जोत जगे बिन दीपक बाती।
मोह माया अभिमान मिटा दो ,योगाग्नि का दीप जला दो।
दाता तिनों ताप निवारो, भवसागर से पार उतारो।
मीठी अनहद तान सुना दो,अमृत की बूंदे बरसा दो।
साध संगत से मुंह नहीं मोड़े, सुमिरन की करनी नहीं छोड़े।
होमें की दीवार गिरा दो,सुरति शब्द को एक बना दो।
दया करो हे सुख के धाम,मन मेरा पावे विश्राम।
आठ पहर गुण तेरे गाये, तुझसे निर्गुण भक्ति पाये।
बक्शो, श्रद्धा और विश्वास ,तुम स्वामी हम दासन-दास।