हास्य कहानियाँ || Funny Stories in hindi

हास्य कहानियाँ

हास्य कहानियाँ

खुश नहीं, बहुत खुश

रविवार का दिन था, बाबू जी और छोटा भाई घर पर ही थे और मैं तीन दिन लगातार सफर करके आज ही घर पहुंचा था। मां और बाबू जी को प्रणाम किया और छोटे भाई से मिला। मां ने पूछा, “बेटा, सफर कैसा रहा?”

मैंने कहा, “मां सब ठीक है पर त्यौहार के कारण गाड़ी में रश होने के कारण बहुत ज्यादा थक गया हूं।”

मां बोली, “तुम क्रैश हो लो, तब तक मैं चाय बना लाती हूं।

चाय पीकर आराम से सो जाना। जब सोकर उठोगे तब बात करेंगे।” मैं क्रैश होकर आया तो मेरे कमरे में चाय और बिस्कुट पड़े थे। मैंने झटपट चाय पी और चादर तान कर सो गया।

तीन घंटे सो कर जब उठा तो तबीयत एकदम बढ़िया थी। शाम हो चली थी। सुबह दफ्तर जाकर रिपोर्ट पेश करनी थी जो अभी तैयार भी करनी थी। मैं जल्दी-जल्दी रिपोर्ट तैयार करने बैठ गया जो डेढ़ घंटे में तैयार हो गई।

सिर से यह चिंता भी दूर हुई तो सोचा, चलो बाजार घूम आता हूं। बाजार घूमने निकला तो घीसू रेहड़ी वाले के निकट पहुंचने पर कड़क चाय की महक नाक में समा गई।

मैंने उससे कहा, “लो घीसू भाई, तुम्हें देख कर चाय की तलब जाग उठी है। बढ़िया कड़क चाय पिला दो। आज मेरा मन बहुता खुश है अगर चाय बढ़िया पिलाई तो तुम्हें खुश कर दूंगा।”

घीसू ने बड़े आराम से चाय बना कर पिलाई तो मजा आ गया मैं बहुत खुश हुआ और उसे बीस रुपए का कड़क नोट दिया जबकि चाय का रेट दस रुपए था।

घीसू ने बीस का नोट पकड़ा ही नहीं। मैंने उसे दोबारा पैसे पकड़ाने चाहे पर वह पकड़ने को तैयार ही नहीं था। मैंने हैरान हो कर कहा,” क्यों भई क्या हुआ?”

घीसू बोला, “बाबू जी में पैसे नहीं लूंगा। मैंने तो बस खुश होना है।”

मैं बोला, “अरे भाई, दस रुपए रेट है मैं तो बीस रुपए दे रहा हूं और क्या चाहिए तुम्हें ?”

घीसू बोला, “पैसों की बात नहीं है बाबू जी, आपने ही तो कहा था कि चाय बढ़िया होगी तो खुश कर

दूंगा। बस आप मुझे खुश कर दीजिए।”

“अरे भाई, ‘खुश कर दूंगा’ कहना एक मुहावरा है इसका मतलब है काम सही होने पर बख्शीश देकर किसी को प्रसन्न करना।”

घीसू तपाक से बोला, “बाबू जी आप कह दें कि आपने ‘खुश कर दूंगा’ कहा ही नहीं और इतना कह कर आप बिना पैसे दिए जा सकते हैं।”

“घीसू भाई, अब मैं झूठ तो बोलूंगा नहीं। तुम कहो तो गुदगुदी करके तुम्हें खुश कर दूं?”

घीसू बोला, “बाबू जी, आप मुझे बस खुश कर दें, बात खत्म मैंने जेब से पचास का नोट निकाला और बोला, “ये पकड़ो। बस अब इससे आगे कुछ मत कहना।”

घीसू बोला, “बाबू जी मैंने तो बस खुश होना है। पैसे नहीं लेने हैं।” बात बिगड़ने की नौबत आने ही वाली थी कि मेरा दोस्त उधर से गुजरा और मुझे देख कर मिलने के लिए दुकान के अंदर आकर बोला, “मित्र, क्या हुआ? चेहरे पर इतनी सिलवटें और नाराजगी नजर आ रही है।”

मैंने मित्र को सारी बात बताई। मेरा दोस्त बोला, “इसमें कौन- सी बड़ी बात है। जब वायदा किया है तो निभाना तो पड़ेगा ही।”

घीसू के चेहरे पर मुस्कान और आंखों में अलग तरह की चमक दिखाई दे रही थी। हमारे इलाके का कुख्यात बदमाश कलुवा मर्डर के केस में उम्र कैद काट रहा है। उसके जेल जाने पर सबने राहत की सांस ली थी लेकिन 3 लड़कियों के बाद उसके घर लड़का होने पर वह जमानत पर छूट कर आया है और तभी से एक बार फिर इलाके के लोग दहशत में थे।

मेरा दोस्त घीसू से बोला, “कलुवा बदमाश को जानते हो?” घीसू बोला, “अरे भाई साहब, बात तो मुझे खुश करने की है, बीच में यह कलुवा बदमाश कहां से आ टपका? क्या आप लोग मुझे उसकी धमकी देना चाहते हैं?”

मेरा दोस्त बोला, “अरे धमकी नहीं दे रहे, पूरी बात तो सुन लो।” घीसू बोला, “चलिए आप अपनी बात पूरी करें। मुझे तो बस खुश होने से मतलब है।”

मेरा दोस्त बोला, “उसके घर बेटा होने और जमानत पर छूट आने की खबर सुनकर तुम्हें खुशी हुई कि नहीं?”

अब घीसू की हालत यह हो गई कि काटो तो खून नहीं। खुश नहीं हूं कहने की स्थिति में उसे अपने गले पर कलुवे का लम्बा और बड़ा-सा छुरा लहराता नजर आने लगा जो वह हर समय हाथ में रखता है।

अब मरता क्या न करता। गले से थूक निगलता हुआ बोला, “जी भाई साहब, मैं खुश ही नहीं बहुत खुश हूं। आप जाइए।”

वहां से निकलते हुए मेरा मन मुझसे कह रहा था जान बची तो लाखों पाए।

– उदद्य चंद्र लुदरा

हास्य कहानियाँ

वायदा निभाया

लल्लू (कल्लू से), “मैंने शन्नो से चुटक वायदा किया था कि मैं उसके लिए कोई भी तकलीफ सह सकता हूं। यहां तक कि नरक की यातनाएं भी झेल सकता हूं।

” कल्लू “तो फिर तुमने वह वायदा निभाया।
” लल्लू, “हां, मैंने उससे शादी जो कर ली।”

घर वालों से परेशान

रंजन, “किस बात से इतना परेशान हो ?” कमल, “यार घर वालों से।”

रंजन, “जिस दिन लगता है कि कुछ नया करूं उसी दिन मुझे गेहूं पिसवाने भेज देते हैं।”

मायके गई है

दिनेश, “आजकल तेरे चेहरे पर कुछ ज्यादा ही रौनक दिखाई दे रही है, तेरी बीमारी कहां गई?”

रमेश, “आजकल मायके गई हुई है।”

एक शब्द की खातिर

70 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद एक बूढ़ा प्रत्येक वर्ष बीतने पर अपनी ही पत्नी से शादी करता था। बिना किसी रोक-टोक के सारा कार्यक्रम सम्पन्न हो जाता और फिर अगले वर्ष सब कुछ वैसे ही दोहराया जाता। पूरे गांव में यह बात कौतूहल का विषय बन गई। आखिर जब एक व्यक्ति से न रहा गया तो उसने पूछ ही लिया, ‘‘बुढऊ यह क्या बात हुई कि तुम हर साल ब्याह करते हो। हर साल फेरे लेते हो?”

बूढ़ा बोला, “बस एक ही शब्द सुनने की खातिर ।

” “कौन सा शब्द ?”

“वही जब पंडित जी कहते हैं लड़के को बुलाओ।

बस कसम से मजा आ जाता है।”

ठीक ही होगी

भोलू, “कल सुबह मेरी पत्नी कुएं में गिर गई। बहुत चोट लगी थी उसको क्योंकि बहुत चिल्ला रही थी।”

रंजन, “अरे बुरा हुआ ।

खैर अब कैसी है भाभी?”

भोलू, “अब तो ठीक ही होगी।

कल शाम से कुएं से कोई आवाज नहीं आई।”

डाटा क्या होता है

एक देहाती लड़की से कम्प्यूटर क्लास में पूछा गया,

“डाटा क्या होता है ?”

लड़की बोली, “सो सिम्पल शीशी के ढक्कन को डाटा कहते हैं।”

जिंदगी चार दिन की

नीरज, “रात भर मुझे इस बात ने सोने नहीं दिया।”

रंजन, “किस बात ने?”

नीरज, “कि जिंदगी तो बस चार दिन की है और इंटरनैट पैक मैंने 30 दिन का ले लिया है।”

कितनी लम्बी उम्र है…

नीरज का पड़ोसी मर गया।

वह उसके घर गया और पूछा, “बॉडी आ गई क्या?”

तभी बाहर एम्बुलैंस आकर रुकी तो नीरज बोला,

“लो देखो कितनी लम्बी उम्र है।”

चाबी भरने से…

काला (विक्की से), “मेरे पास ऐसी गाड़ी है जो ड्राइवर के बिना चलती है।”

विक्की, “वह कैसे ?”

काला, “चाबी भरने से।”

भूल जाता हूं

हास्य कहानी

डॉक्टर (मरीज से), “मैंने तुम्हें याद्दाश्त ठीक करने की दवाई दी थी।

कुछ फर्क पड़ा।”

मरीज, “जी अभी तक तो कोई फर्क नहीं पड़ा।

मैं रोज दवाई खाना भूल जाता हूं।”

हम दो है

दो चूहे जंगल से गुजर रहे थे।

सामने से शेर आ गया।

एक चूहा बोला, “यार इसकी पिटाई कर दो।

बहुत अकड़ता है।

दूसरा बोला, “रहने दो। वह अकेला है और हम दो हैं।”

भरपूर आनंद

एक नौसिखिया कवि एक कविता लिख कर नगर के सबसे मशहूर कवि को दिखाने गया और बोला, “मेरा विचार है कि मैं अपनी

यह कविता मोटे अक्षरों में लिखवा कर गेट पर लगवा दू ताकि नगर में आने वाले लोग मेरी कविता को पढ़ कर इसका आनंद ले सकें।”

मशहूर कवि, “लेकिन उन्हें यह कैसे पता चलेगा कि यह कविता तुमने लिखी है इसलिए मेरा विचार है कि कविता के साथ-साथ तुम्हें भी हाल गेट पर लटका दिया जाए ताकि पढ़ने वाले रचना और उसके रचयिता को एक साथ देखकर भरपूर आनंद ले सकें।”

अपनी मूंछें हैं

हनी, “पिता जी, एक मूंछों वाला आदमी बाहर खड़ा है।”

सुरजीत, “उससे कह दो हमें मूंछों की जरूरत नहीं।

हमारी अपनी मूंछें हैं।”

शर्मिंदगी महसूस

कॉफी हाऊस में एक सज्जन जोर-शोर से अपने गुण गिना रहे थे,

“मैं दूसरों को पढ़ सकता हूं।

किसी भी आदमी पर एक नजर डालने के बाद बता सकता हूं कि वह मेरे बारे में क्या सोच रहा है।”

तभी एक व्यक्ति ने उसे टोक कर कहा, “लेकिन यह जान लेने के बाद तो आपको काफी शर्मिंदगी महसूस होती होगी।”

आपके पास

डाक्टर ने मरीज से कहा, “तुम जैसे सिरफिरे मरीज का इलाज कोई पागल डाक्टर ही कर सकता है।”

मरीज ने कहा, “डा. खन्ना ने यही कह कर तो मुझे आपके पास भेजा है।”

लम्बा लड़का

प्रथम, “पिता जी, मैं ब्लैक बोर्ड नहीं देख पाता।” प्रथम के पिता उसको लेकर आंखों के

डाक्टर के पास गए। डाक्टर, “बेटा तुम्हें ब्लैक बोर्ड 3 देखने में क्या परेशानी होती है। भने प्रथम, “जी अंकल, मेरे सामने एक लम्बा लड़का बैठता है।”

चाय में बर्फ

घर कुछ मेहमान आए। उनसे पूछा- चाय लेंगे या ठंडा ।

बोले – दोनों ले आओ। मैंने भी चाय में बर्फ डाल कर दे दी।

सजा

“पापा जो काम मैंने किया ही नहीं क्या उसकी सजा मुझे मिलनी चाहिए।” प्रथम ने अपने पिता से पूछा।

“हरगिज नहीं।” पिता बोले । “फिर जब आज मैं होमवर्क करके ही नहीं ले गया तो टीचर ने मेरी पिटाई क्यों की ?” प्रथम ने सवाल किया।

चीते से तेज

दो व्यक्ति जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे। थक कर जब वे एक पेड़ के नीचे सुस्ता रहे थे तभी उन्हें एक चीता सामने से आता दिखाई दिया। यह देखते ही एक व्यक्ति ने फौरन अपने जूते पहनने शुरू कर दिए। दूसरा बोला, “क्या तुम्हें लगता है कि तुम ‘चुट गो

चीते से तेज दौड़ पाओगे?” “यह तो पता नहीं।” उस व्यक्ति ने अपना थैला उठाते हुए कहा, “पर मैं यह जानता हूं कि मुझे कैसे भी करके दौड़ना है।”

ज्यादा बच्चे नहीं थे

पापा (मनु से), “यह रिजल्ट है तुम्हारा ? बीस बच्चों की क्लास में तुम आखिरी दो में आए हो।”

मनु, “पापा भगवान का शुक्र है कि क्लास

में ज्यादा बच्चे नहीं थे।”

प्रसाद ले आना कमल टैक्सी ड्राइवर से, “मंदिर चलोगे क्या?”

टैक्सी ड्राइवर, “हां, साहब।” कमल, “ठीक है, वापस लौटते समय मेरे लिए प्रसाद लेते आना।”

बाल कटवा कर…

डाक्टर मरीज के पीछे भाग रहा था। लोगों ने पूछा, “क्या हुआ?”

डाक्टर बोला, “5 बार ऐसा हुआ है कि

दिमाग का ऑप्रेशन करवाने आता है और बाल

कटवा कर भाग जाता है।”

खटारा कार

अरबपति सेठ, “अगर मैं सुबह से अपनी कार में निकलूं तो शाम तक अपनी आधी प्रॉपर्टी

भी नहीं देख सकता।”

गुल्लू “हमारे पास भी ऐसी खटारा कार थी, बेच दी।”

ज्यादा चिप्स

राहुल अपनी गर्लफ्रैंड रंजना के साथ चिप्स खा रहा था। राहुल ने प्यार से रंजना की आंखों में आंखें डाल कर पूछा, “कुछ फील कर रही हो…?”

रंजना, “हां, लालची तुम मुझसे ज्यादा चिप्स खा रहे हो।”

आ नहीं रहा…

हनी परीक्षा में खाली बैठा हुआ था। कुछ भी लिख नहीं रहा था।

टीचर, “तुम कुछ लिख क्यों नहीं रहे ?” हनी, “कुछ आ नहीं रहा।”

टीचर, “कुछ तो आ रहा होगा?”

हनी, “हां।”

टीचर, “क्या?”

हनी, “रोना…।”

पैसे वापस

रंजन पैराशूट बेच रहा था, “हवाई जहाज से कूदो, बटन दबाओ और जमीन पर सुरक्षित पहुंच जाओ।”

ग्राहक, “अगर पैराशूट नहीं खुला तो ?”

रंजन, “तो पैसे वापस ।”

साइंटिस्ट हूं

रिश्तेदार, “बेटा क्या करते हो?”

लड़का, “अंकल साइंटिस्ट हूं। दिन

भर ऑक्सीजन को कार्बन डाइऑक्साइड में बदलता हूं।”

प्रेमिका का पिता

दांतों के डाक्टर की लड़की ने अपने प्रेमी से पूछा, “कल मेरे पिता जी से मिले थे ?”

“हां!”

“क्या हुआ?”

“होना क्या था, एक दांत और उखड़वा आया हूं।”

तलाक

अध्यापक (अनुपम से), “अनु बताओ तो शादी का फ्यूचर टैंस क्या होगा ?”

अनुपम, “तलाक मैडम।”

जहर की गोलियां

अनुपम (कैमिस्ट से), “जल्दी करो न, कब से मैं आप से दवाई, मांग रहा हूं।”

कैमिस्ट, “धीरज रखिए साहब, कहीं मैं जल्दी में आपको जहर की गोलियां न दे दूं।”

अनुपम, “कोई बात नही, हमारे पड़ोसी को ही चाहिए।”

बच्चों को डराऊंगा

एक स्थान पर ‘कव्वालियों की रात’ मनाई जा रही थी। एक भद्दी-सी सूरत वाला लम्बा-तगड़ा कव्वाल, कव्वाली गाता हुआ कह रहा था, “मेरी तस्वीर लेकर क्या करोगे तुम, मेरी तस्वीर लेकर…।” “बच्चों को डराऊंगा और क्या करूंगा।” एक मसखरे श्रोता ने कहा।

तस्वीर की बात

“प्रेम भी बहुत विचित्र चीज है।” शालू बोली, “जब मेरे पति दिनेश लड़ाई में गए तो मेरी तस्वीर अपने साथ ले गए थे। जिस लड़ाई में भी वे लड़े, मेरी तस्वीर को हमेशा साथ रखा।” उसकी सहेली नीलम ने यह सुन कर कहा, “शायद उन्होंने यह सोचा होगा कि इससे दुश्मन डर कर भाग जाएंगे।”

नाम

एक साहब अपने पड़ोसी के दरवाजे पर शब्द ‘गधा’ लिख गए। शाम को पड़ोसी उनके घर आया और उनके नौकर से कहा, “जाओ अपने मालिक से कह दो कि सवेरे वह मेरे दरवाजे पर अपना नाम लिख कर छोड़ गए थे, इसलिए मैं उनसे मिलने आया हूं।”

यह भी न मिलते मालिक मकान, “तुम पर छः महीने का किराया बकाया है और तुम केवल बीस रुपए दे रहे हो?”

किराएदार, “ले जाओ लाला। अगर पिछले

दरवाजे की चौखट तोड़ कर न बेचता तो यह भी नहीं मिलते।”

दोस्त

नौकर (मालिक से), “आपके लिए आपके जिगरी दोस्त का फोन आया है।”

मालिक, “तुझे कैसे मालूम हुआ कि वह मेरा

जिगरी दोस्त है ?” नौकर, “क्योंकि वह कह रहे थे कि वह मूर्ख कहां है ?”

प्रैक्टिस की है डाक्टर (खुश होकर), “आज तो आप बड़ी आसानी से खांस रहे हैं।”

रोगी (चिढ़कर), “जी हां, मैंने रात भर इसकी प्रैक्टिस की है।”

साफ बोल दो

लड़की, “तुम मुझसे शादी करोगे न ?”

लड़का, “हां।”

लड़की, “कब?”

लड़का, “बस, सी.ए. की परीक्षा पास कर लूं।”

लड़की, “शादी नहीं करना तो साफ बोल दो, फालतू बकवास तो मत करो।”

नजर कमजोर है

रेलवे से निकाले जाने के बाद दिनेश घड़ी सुधारने का काम करने लगा। एक दिन वह घंटाघर की घड़ी सुधार कर उतार रहा था तो वहां से गुजर रहे राहगीर ने मूछा, “घड़ी खराब हो गई थी क्या?”

दिनेश, “नहीं, नजर कमजोर है टाइम देखने ऊपर चढ़ा था।”

क्या पहनूंगी ?

चिंटू, “मैं तेरी रोज-रोज की शॉपिंग से तंग आ गया हूं, इसलिए मरने जा रहा हूं।”

पत्नी, “अच्छा एक सफेद साड़ी तो ले दो, तुम्हारे मरने पर क्या पहनूंगी ?”

पी.एच.डी.

टीचर, “नाड़े को इंगलिश में क्या कहते हैं ?”

चिंटू, “पी.एच.डी.।”

टीचर, “क्या…? वो कैसे ?”

चिंटू, “पजामा होल्डिंग डिवाइस ।”

अंतिम इच्छा

न्यायाधीश (अपराधी से), “तुम्हारी यदि कोई अंतिम इच्छा हो, तो हमें बता दो, पूरी की जाएगी।”

अपराधी, “सरकार, मैं चाहता हूं कि मेरी जगह किसी और को फांसी पर लटका

दिया जाए।”

धरती पर बोझ

पिता, “रमेश तुम्हें बड़ा होकर पायलट बनने की ही जिद क्यों है, मैं तो तुम्हें डाक्टर बनाना चाहता हूं?”

रमेश, “क्योंकि पिता जी, मेरे सारे यार-दोस्त मुझे हमेशा धरती पर बोझ कहते हैं।”

शहर में न घुस जाएं

अध्यापक, “गौरव यह बताओ कि प्रत्येक रेलवे स्टेशन पर फाटक क्यों बनाए जाते हैं?”

गौरव, “सर इसलिए कि कहीं रेलगाड़ियां शहर में न घुस जाएं।”

बहुवचन

पिता (रमेश से), “बाल का बहुवचन

क्या होगा?”

रमेश, “जी चुटिया।”

ईनाम

रवि, “पापा-पापा मैं सुबह से पढ़ रहा हूं। अब तो मुझे कोई ईनाम दीजिए न।”

पापा, “शाबाश बेटा । अच्छा यह तो बताओ कि क्या-क्या पढ़ा?”

रवि, “तीन कामिक्स।”

संगीत का शौक

निर्मला, “मेरी बेटी का संगीत का शौक हमारे लिए बहुत फायदेमंद रहा।”

वीना, “वह कैसे ?”

निर्मला, “मेरा पड़ोसी तंग आकर अपना – मकान आधी कीमत में बेच गया और मैंने खरीद लिया।”

गाड़ी छूट गई

फाइन आर्ट्स टीचर (छात्रों से), “तुम लोग रेलगाड़ी और पटरी बनाओ।

मैं पांच मिनट में आता हूं।”

टीचर ने थोड़ी देर बाद लौटने पर देखा कि सभी बच्चों ने रेलगाड़ी और पटरी बना ली थी जबकि चिंटू ने पटरी तो बनाई थी पर रेलगाड़ी नहीं बनाई थी। यह देख कर टीचर ने पूछा, “तुमने पटरी तो बना ली लेकिन रेलगाड़ी क्यों नहीं बनाई ?”

चिंटू, “सर आप पांच मिनट लेट आए हैं न । गाड़ी छूट गई।”

लाइट के नीचे

चीनू, “अंकल अंधेरे में आप क्या खोज रहे हैं ?” अंकल, “बेटा मेरी जेब से कुछ सिक्के यहां गिर गए हैं लेकिन रोशनी न होने के कारण मुझे दिख ही नहीं रहे हैं।”

चीनू, “तो आप उस सामने वाली स्ट्रीट लाइट के नीचे जाकर क्यों नहीं ढूंढते ?”

मैं भी तो शामिल हूं

मोहन, “आज फिर अखबार में मेरे बारे में खबर छपी है।”

सोहन, “क्या खबर छपी है ?”

मोहन, “अखबार में लिखा है कि भारत की आबादी एक अरब से ऊपर हो गई है तो उन एक अरब लोगों में मैं भी तो शामिल हूं।”

पानी में खड़े

एक नया चित्रकार जब भी कोई पेंटिंग बनाता था उसमें वह पशुओं को हमेशा पानी में खड़े दिखाता था।

किसी ने कारण पूछा, “आपकी पेंटिंग में पशु हमेशा पानी में खड़े क्यों दिखाई देते हैं ?”

चित्रकार बोला, “दरअसल, बात यह है कि अभी तक मुझे पशुओं के खुर बनाने नहीं आए।”

कितने वार

टीचर, “मनु एक सप्ताह में कितने दिन यानी वार होते हैं?” मनु, “सात वार होते हैं।” टीचर, “गिन कर बताओ।” मनु, “एक, दो, तीन, चार, पांच, छः, सात।”

कोरे कागज को नहीं छुआ लेखक (नौकरानी से), “यह तुम कौन-से कागज जला रही हो?”

नौकरानी, “वही जिन पर आपने कुछ लिख रखा है। कोरे कागजों को तो मैंने छुआ तक नहीं।”

किराया बच जाएगा

मूर्ख नौका में बैठ कर दरिया पार कर रहे थे।

एक बोला, “अगर नौका डूब जाए तो ?”

दूसरा बोला, “यह तो अच्छा है वापसी का किराया बच जाएगा।”

मुट्ठी गर्म कर दी

जज, “तुमने इसका हाथ क्यों जला दिया ?”

अपराधी, “मैं उसके पास नौकरी लेने गया था। उसने कहा कि पहले मेरी मुट्ठी गर्म करो तो मैंने जलता कोयला उसकी हथेली में रख दिया।”

बहुत हुए सैम्पल…

एक पेटू किसी बड़े शहर में रिश्तेदारों के घर गया। गृहिणी ने चार सब्जियां बनाईं और एक कटोरी में थोड़ी-सी भिंडी दूसरी में करेला, तीसरी में शिमला मिर्च और चौथी में दो-तीन टिंडे डाल कर भोजन परोसा ।

पेटू एक-एक निवाले के साथ सब सब्जियां खाकर बोला, “बहन जी, अब सब्जी भी डालेंगी या सैम्पल ही दिखाती रहेंगी।”

एक सुंदर कविता,जिसके एक-एक शब्द बार-बार पढ़ने को मन करता है