सतगुरु मैं तेरी पतंग लिरिक्स

सतगुरु मैं तेरी पतंग , सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उडदी जावांगी, हवा विच उडदी जावांगी।

साईंयां डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

1. बड़ी मुश्किल दे नाल मिलेय मेनू तेरा दवारा है।

मेनू इको तेरा आसरा नाले तेरा ही सहारा है।

हुन तेरे ही भरोसे, हवा विच उडदी जावांगी,

साईया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

सतगुरु मैं तेरी पतंग , सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उडदी जावांगी, हवा विच उडदी जावांगी।

साईंयां डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

2. ऐना चरणां कमला नालों मेन्नु दूर हटावी ना।

इस झूठे जग दे अन्दर मेरा पेंचा लाई ना।

कट गयीता सतगुरु, फेर मैं लुट्टी जावांगी,

साईया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

सतगुरु मैं तेरी पतंग , सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उडदी जावांगी, हवा विच उडदी जावांगी।

साईंयां डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

3. अज्ज मिलिया बूहा आके मैं तेरे द्वार दा ।

हाथ रख दे एक वारि तूं मेरे सर ते प्यार दा ।

फिर जनम मरण दे गेडे तो मैं बचदी जावांगी,

साईया डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

सतगुरु मैं तेरी पतंग , सतगुरु मैं तेरी पतंग,

हवा विच उडदी जावांगी, हवा विच उडदी जावांगी।

साईंयां डोर हाथों छोड़ी ना, मैं कट्टी जावाँगी ।

सतगुरु मैं तेरी पतंग pdf

सतगुरु मैं तेरी पतंग का अर्थ

“सतगुरु मैं तेरी पतंग” एक धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यता का प्रतीक है जो भक्ति और आत्मा के मार्ग के संदेश को प्रकट करता है। इस वाक्य का शाब्दिक अर्थ होता है, “सतगुरु, मैं तेरी पतंग”।

यहाँ तक कि “पतंग” के संदर्भ में, यह आत्मा को प्राकृतिक परमात्मा या आध्यात्मिक गुरु के नियंत्रण और मार्ग में प्राप्त करने की एक प्रतीति है।

“सतगुरु मैं तेरी पतंग” इस विचार को दर्शाता है कि भक्ति और आत्मा का मार्ग गुरु या ईश्वर के मार्ग पर चलना चाहिए।

इसमें यह भी शामिल है कि पतंग अपने मार्ग पर चलते समय पूरी तरह से गुरु या ईश्वर के निर्देशन में होती है, जैसे कि पतंग का धागा उसके हाथ में होता है।

“सतगुरु मैं तेरी पतंग” इस विचार को भी दर्शाता है कि भक्ति और आत्मा का मार्ग गुरु द्वारा बताए गए मार्ग पर चलना चाहिए। जैसे कि पतंग अपने मार्ग पर चलते समय पूरी तरह से गुरु या ईश्वर के निर्देशन में होती है, जैसे कि पतंग का धागा उसके हाथ में होता है।

यह वाक्य आध्यात्मिक साधना, गुरु-शिष्य संबंध, और आत्मा के विकास की महत्वपूर्ण प्रतीक के रूप में प्रयोग होता है और भगवान के प्रति भक्ति का एक प्रशंसा व्यक्त करता है। इसके माध्यम से लोग अपने आत्मा को गुरु के मार्ग पर चलने का संकल्प और भक्ति की भावना को व्यक्त करते हैं।

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