सतगुरु भजन – सतगुरु महिमा के आनंदमई भजन

सतगुरु भजन

भजन का अर्थ होता है भगवान के गुणों का गान करना या उन्हें याद करना। सतगुरु भजन एक ऐसा गीत होता है। जिसमें सतगुरु की महिमा और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा की जाती है। सतगुरु शब्द के दो भाग होते हैं ‘संत’ जो सच्चाई और तत्वतः सत्य होता है और गुरु जो अध्यात्मिक ज्ञान का प्रदान करने वाले उपास्य व्यक्ति को दर्शाता है। इसलिए सतगुरु भजन एक धार्मिक भजन होता है जो सतगुरु के प्रति भक्ति और समर्पण को प्रकट करता है।

सतगुरु भजन के माध्यम से भक्त अपने अंतरंग भावनाओं को व्यक्त करता है, भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को प्रकट करता है और उनके मार्गदर्शन में जीवन को उद्धार करने की कामना करता है। ये भजन आत्मिक अनुभव को प्रोत्साहित करते हैं और भक्त को मुक्ति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं।

भजन के माध्यम से भक्ति और समर्पण के भाव को सहज तरीके से व्यक्त किया जा सकता है। ये धार्मिक संगीत के रूप में भजन को सभी जीवनी समृद्ध व्यक्तियों द्वारा गाया जाता है और भक्तों के बीच भजन संध्याओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रस्तुत किया जाता है।

-सतगुरु भजन के गीत विभिन्न भाषाओं में हो सकते हैं, लेकिन इनका मुख्य उद्देश्य सतगुरु के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करना होता है।

इन भजनों के माध्यम से भक्त सतगुरु के दिव्य गुणों का स्मरण करते हैं और उनके मार्गदर्शन में अपने जीवन को महत्वपूर्ण बनाने का प्रयास करते हैं। सतगुरु भजन भक्ति और साधना के एक महत्त्वपूर्ण साधन होते हैं, जो भक्त को आत्मिक संबंध और प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करते हैं। ये भजन भक्ति मार्ग के अनुयायियों के लिए एक अनुभवयोग्य और प्रभावशाली उपास्य होते हैं।

1. आस लगी तेरे दर्शन की

तर्ज :- मै तुलसी तेरे आंगन की

टेक : आसलगी तेरे दर्शन की आस लगी तेरे दर्शन की
तरस बड़ी तेरी, तरस बड़ी तेरी, तरस बड़ी तेरी चितवन की ,आस लगी तेरे दर्शन की, आस लगी..

1. मै हूँ चकोर तू चाँद है मेरा.. तू मेघा मैं चातक तेरा.. बरसे बदरिया सावन की. .आस लगी तेरे दर्शन की

2. दर्द विरह का सहा नही जायें..
कहा भी न जाए, रहा भी न जाये.. विकल दशा जैसे विरहन की ……… आस लगी तेरे दर्शन की

3. अजब प्रेम के ताने बाने.. यह तुम जानो या हम जानें..और न जाने गति मन की ……..आस लगी तेरे दर्शन की

4. आकर सुधिलो प्राण प्यारे.. संकट में है प्राण हमारें. प्रीत जुड़ी कई जन्मों की.. ….आस लगी तेरे दर्शन की

5. तन भी तेरा, मन भी तेरा…… सब कुछ तेरा, कुछ नहीं मेरा.. लाज रहे मेरे असुअन की.. ….. आस लगी तेरे दर्शन की

6. सूना पड़ा है दिल का सिंहासन…. ललक रही आँखे हर पल छिन्न.. बात करो प्रभु आवन की.. आस लगी तेरे दर्शन की………….

2. मैं हूं सेवक तेरा तू है दाता मेरा

तर्ज : मैं तेरे इश्क में मर न जाऊ कहीं तू मुझे भूल जाने की कोशिश न कर

टेक : मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा
मेरी बिगड़ी बना दे मेरे शहनशाह
तेरी नज़रे करम का तलबगार हूँ …मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा

1. रात अन्धेरी और तूफान है बड़ी मुश्किल में आज मेरी जान है
है भरोसा अगर तो तेरे नाम का
मुझ पे एहसान कर दे खवैया मेरे
पार नैया लगा दे मेरे शहनशाह,
मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा…..

2. मुझ को चाहत नहीं है धन मान की
न जरुरत है दोनो जहान की
जुस्तजू है अगर वस है दीदार की
जगमगाए मेरा दिल तेरे नूर से, ऐसी शम्मां जलादे मेरे शहनशाह …..मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा

3. सोई रुहें जगाना तेरा काम है, सारे जग से निराला तेरा धाम है
तेरा आना मुबारिक है संसार में
डालकर मुझपे अपनी निगाहें करम, सोई किस्मत जगादे मेरे शहनशाह……मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा

4. रहमतों का तू दातार वाली, तेरे दर का मैं अदना सवाली
रहम कर झोली भर दे मेरी देवता
जन्म जन्मों से है रुह प्यासी मेरी
जामें उल्फत पिला दे मेरे शहनशाह…..मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा

5. तू तो सन्तों का सन्त अवतार है
तेरी बख्शिश का बस इन्तजार है
तन बदन, हो मग्न, रात दिन हो लग्न,
होश दुनिया की, कुछ भी न बाकी रहे,
ऐसी मस्ती जगादे मेरे शहनशाह …..मैं हूँ सेवक तेरा तू है दाता मेरा

3. बलिहार तेरे दर तो सौ सौ सदके जावा

तर्ज :- होठों से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दों

टेक : बलिहार तेरे दर तों…सौ सौ सदके जावा । तेरी दात रुहानी दा …….. …दस मैं की मुल पांवा ॥

बैकुण्ठां तो उच्ची……तेरी दात है रुहानी । फानी संसार दे बिच….. ऐ दौलत लाफानी ।। बखशिश जे हो जावें भव सागर तर जांवा………2 ।। बलिहार..

तेरी दात अमोली दा…दाता कोई मोल नही । ऐहदी महिमा तोल सकें….. जग बिच कोई तोल नही ।। चरणा बिच लाया ऐं…चरणा बिच रुल जावां ……..2 । बलिहार

इक तरफ जमानें दी…….कुल इशरत सारी ऐ । तेरे गुरुमुखां नू लेकिन.. ..तेरी दात प्यारी ऐ ॥ तेरी नाम खुमारी बिच…..कुल दुनिया भूल जावां ॥ । बलिहार

खण्डां ब्रहाण्डा तो. ..तेरी दात न्यारी है । मिल जाए जिस जन नूँ.. ..ओ ही अधिकारी है ॥ पदरज लै के उसदी.. ….. मस्तक नूँ महकाँवां । । बलिहार

5. न ज्ञान कर्म करके …न कर्म धर्म करके । ऐह दात मिले मुरशिद… तेरी नज़र करम करके ।। रहमत दिया अरशां बिच……… ..बदली बन घुल जांवा…..2 ।। बलिहार

तेरी दात दा मतवाला……. .. मजिल तो दूर नही । ओझल ओह दी अखियां तो…….मालिक दा नूर नही ।। ऐहदी बरखा विच दासा.. .. मै जल थल हो जावां…….2 ।। बलिहार

4. हुई जब से अनमोल नज़रे करम

तर्ज :- बहुत प्यार करते है तुझ को सनम

टेक : हुई जब से अनमोल नज़रे करम
हैरत में जीते हैं मदहोश हम ……..
हुई जब से अनमोल नजरे…..

1. लगी मुस्कुराने मेरी जिन्दगानी।
बिना शक तुम्हारी हुई मेहरबानी ।।
महकने लगा मेरे- 2 दिल का चमन ।।
हुई जबसे अनमोल नजरे…

2. नहीं जानते क्या करिश्मा हुआ है।
तेरे प्रेम फन्दे में दिल फँस गया हैं ।।
कि आठों पहर है -2 बहारें मगन ।।
हुई जबसे अनमोल नजरे…

3. यह जानकर दिल तेरे जज्बात से है।
मुहब्बत भी है तो तेरी दात से हैं ।।
फखर जितना तुझ पर – 2 करें वो है कम
हुई जबसे अनमोल नजरे….

4. बरसते हैं आँखो से, आँसु खुशी के ।
कि इशरत के सामान लगते है फीके ।।
न काहू की चिन्ता – 2 न काहू का गम ।।
हुई जबसे अनमोल नजरे…..

5. हकीकत को दिल अब समझने लगा है।
कि अपना पराया परखने लगा हैं ।।
तरक्की में है – 2 बन्दगी दम बदम ।।
हुई जबसे अनमोल नजरे…

6. चले आओ महफिल सजी है हमारी ।

कमी हैं अगर बस कमी हैं तुम्हारी ।।
तड़प है कि चूमें 2 मुबारिक कदम ।।
हुई जबसे अनमोल नजरे …..

5. तेरे मुखड़े में वो जादू है

तर्ज :- भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात

टेक :- तेरे मुखड़े में वो जादू है, बिन डोर खिँचा जाता हूँ मै जाना होता कहीं और मगर तेरी और चला आता हूँ मैं

मेरी जान है तू मेरे प्राण है तू मेरी दुनिया का अरमान है तू कोई किस नाते से माने, पर मेरे लिये भगवान है तू , दिल की गहराई में जाकर, गुणगान तेरा गाता हूँ मैं …जाना होता कहीं और..

दरबार तेरा शाहाना है, दुनिया से अनोखा लगता है , पल भर के लिये विस्मरण तेरा, विष मरण सरीखा लगता है , कहती दुनिया जो कहती फिरे, तेरे प्रेम में मदमाता हूँ मैं ..जाना होता कहीं और..

तुम से वो दात मिली जिस को, यह सारा जमाना तरसता है ,काबा काशी की कौन कहे, अब घर में रंग बरसता है ,क्या आलम होता जब तेरे ख्यालों में खो जाता हूँ मैं ..जाना होता कहीं और..

फिर भी यह दो आँखे मेरी दीदार की प्यासी रहती हैं तन्हाई में सुख मिलता है महफिल में उदासी रहती है करता हूँ याद तुझ को बख्शिश हर रोज नई पाता हूँ मैं ..जाना होता कहीं और..

तू उस मुकाम पर ले आया जहाँ से लौट के जाना मुश्किल है तब आँख लगाना मुश्किल था अब आँख चुराना मुश्किल है जिस पल अब तेरी याद न हो उस पल से घबराता हूँ मैं ..जाना होता कहीं और..

तू चाँद है और चकोर हूँ मैं तू शम्मा मैं परवाना हूँ ,तेरे दरबार का ऐ दाता मैं मस्ताना दीवाना हूँ ,तेरे प्यार प्रेम की खुशबू से सांसो को महकाता हूँ मैं ..जाना होता कहीं और.

6. गैर तो मंगी न – गुरु तो संगी न

तर्ज़- बिन्दिया चमकेगी।

टेक : गैर तो मंगी न – गुरु तो संगी न बेअन्त रहमतां कर दे ने। गुरु भण्डारी ने – पर उपकारी ने झोली नाम दात नाल भरदे ने। गैर तो मंगी न….

1. जेहड़ा गैर तो मंगे सिर ओहदा शर्म नाल झुक जांदा, मंग मंगिए सदा सत्गुरु तो कि पैण्डा मुक जांदा, स्वार्थ भरी गैर दी दुनिया सत्गुरु परंम स्नेही । गैर तो मंगी न…..

2. नश्वर चीजां दी मंग करे दुनिया न जाने ढंग मंगन दा, भक्ति रत्न लै करदे यत्न प्रेमी मन रंगन दा, चरण कमल दे नाल निरन्तर सुरत जिन्हा ने जोड़ी। गैर तो मंगी न……..

3. देवी देवते सदा दे हक मंगदे सदा ललचांन्दे ने, प्याला नाम दा जीन्हू पी के प्रेमी अमर पद पौन्दे ने, ओ मतवाला नाम दा प्याला मिलेगा गुरु दर तों ही । गैर तो मंगी न…..

4. झोली अड्डी ना गैर दे अगे ओ विच डूबौन्दे ने, मंग मंगनी ते मंग सदगुरु तों जो पार लंघौन्दे ने, रहमत करदे कदी न थक दे सत्गुरु । गैर तो मंगी न…

5. औखी घाटी स्वर्ग दे झूटे दिलों सवाल कहीं ना, भावै झिडकां देवन भावे घक्के गुरु दा दर छड्डी न गैर दे हलवे तो चंगी गुरु दर दी रोटी सुक्की गैर तो मंगी न…

6. सत्गुरु दाता जगत दे त्राता धूरां दे अधिकारी ने, मुक्ति मंग ले तू भक्ति मंग ले सदा जो सुखकारी, समय दा लाभ उठालै दासा कर ले सफल नर देही। गैर तो मंगी न…..

7. मेरे राम भी तुम हो भगवान भी तुम हो

तर्ज :- मेरा प्यार भी तू है
 टेक :- मेरे राम भी तुम हो भगवान भी तुम हो मेरे संवरिया कृष्ण कन्हैया नारायण हो - नारायण हो

1. जग तारण हित मेरे प्रियतम धरती पर अवतार लिया है सन्त रुप में कृपा करके अपना रूप साकार किया है इतना प्यार दिया है, मेरे राम ..

2. जन्म जन्म से चलता आया मेरा और तुम्हारा नाता मैं हूँ सेवक दर का तुम्हारे तुम हो स्वामी जग के त्राता मेरे भाग्य विधाता, मेरे राम.....

3. रात अन्धेरी घुम्मन घेरी बहती तेज़ नदी की धारा मँझधारों का ग़म नहीं मुझको बेशक काफी दूर किनारा जब तू खेवनहारा- मेरे राम ..

4. दास की तो अरदास यही है दृष्टि दया की रखना बनाये सदा बनाए रखना हम पर रुहानी रहमत के साये चरणों से रखना लगाये, मेरे राम..

8. तूइयों राम मेरा कि तूइयों शाम मेरा

टेक :- तूइयों राम मेरा कि तूइयों शाम मेरा – 2

1. तेरी सूरत है नूरानी – 2
तेरी महफिल है रुहानी- 2
देवते भरदे ने पानी – 2
तेरा दर मल्लिया शामा-2
तेरीयां ठंडिया छावां-2
तूइयो राम… …तूइयों राम मेरा कि तूइयों

2. तू अरशां फरशा दा वाली – 2
मैं तेरे दर दा सवाली -2
तेरा दर मल्लिया मोहना-2
तेरे जिहा मैनु कोई न तूइयो राम. …तूइयों राम मेरा कि तृइयों
3. दरस नूँ तरसन अखीयाँ-2
मैं अर्जा कर कर थकियाँ-2
कि ताने देवन सखीयाँ-2
तेरा दर मल्लिया सत्गुरु-2
मेरे मन वस्सिया आनन्दपुर-2
तूझ्यो राम……….. ..तूइयों राम मेरा कि तूइयों



4. तेरे दरबार मैं आवां-2
धूल चरणां दी जे पावां-2
ओसदा तिलक लगावां -2
तेरा दर मल्लिया प्यारा-2
जो बैकुण्ठां तो वी न्यारा-2

..तूइयों राम मेरा कि तूइयों

5. नाल सौ रीझां ते चावा-2
मैं चुन चुन कलीयां लियावां-2
हार गल तेरे मैं पावां-2
तेरा दर मल्लिया वाली 2
देखी हुण किदरे ना टाली – 2
तूइयों राम मेरा तूइयों शाम मेरा……

9. तेरे दीवाने तुझे याद किया करते हैं

तर्ज़ : जाने क्यों लोग मुहब्बत किया करते हैं

टेक- तेरे दीवाने तुझे याद किया करते हैं। जाम उलफत का सुबह शाम पिया करते हैं ..

1. साँसों की सरगम पर नगमा इक रहता है, दिल में तेरी पूजा का झरना सा बहता है, पलकें तेरी चाहत में मखरुर रहती है, ह्रदय की हालत को आँखे कह देती हैं। मदिरा ही मदिरा-मस्ती ही मस्ती, दिल की यह दौलत- मँहगी न सस्ती, तेरे हर रंग में दीवाने जिया करते हैं। तेरे दीवाने………….

2. तेरे नाम की मस्ती में दिल शादाब रहता है, मैखाना साकी का सदा आबाद रहता है, तेरे तसव्वुर तेरे ही किस्से, इस के सिवा कुछ भी न दिल को याद रहता है, जी के मरते है-मर के जीते हैं, जो तेरी नजरों के इस मय को पीते है, तुझ को दिल से वो दुआएँ दिया करते हैं। तेरे दीवाने….

3. खश्बू सी उड़ती है-आराम आता है, अमृत झरता है जब जुबा पर नाम आता है, दिल की गहराई में शहनाई बजती हैं, मैखाने से उलफत का जब पैगाम आता है, नाम देते हैं-जाम देते हैं लड़खड़ाते है -थाम लेते हैं, होके मख्पूर वो लब अपने सिया करते हैं। तेरे दीवाने..

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