सड़कों पर सम्भल कर कविता

गलियों-बाजारों में सड़कों पर,

घूमते-फिरते हैं जानवर,

कितने ही आवारा।

गाय, सांड, सूअर, कुत्ते आदि,

इनसे बचना है काम तुम्हारा।

बीच सड़क में पसरे रहते हैं,

एक-दूसरे से गुत्थमागुत्था होते हैं।

अचानक किसी ओर दौड़ पड़ते हैं,

राहगीरों को जख्मी करते हैं।

देख-संभल कर बच कर चलना,

अपनी सुरक्षा स्वयं ही करना ।

– ओम प्रकाश बजाज –

सजा दो घर को गुलशन सा मेरे गणराज आये है 
साधना पर कविता || Sadhna Poetry

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