भजन – मेरी स्वांसों की माला के मोती बन के आ जाओ।
(करुण गुहार)
तर्ज – सजा के घर को दुल्हन सा…।।
टेक – मेरी स्वांसों की माला के,
मोती बन के आ जाओ।
प्रभु तुम बिन अँधेरा है,
ज्योति बन के आ जाओ ॥
तेरे दर्शन बिना प्यासी, रूआंसी सी मेरी अखियाँ। ख्वाबों में ही आके प्रभु, झलक प्यारी दिखा जाओ। मेरी स्वांसों की माला ……||
तेरी यादें मधुर प्रभु जी, लगती आग विरह की। रहम की इक नज़र कर दो, मेरे दिल में समा जाओ। मेरी स्वांसों की माला के…… ॥
दाता यह है तेरी मर्जी।मुझे हर हाल में अपनी,मुझे दुःख दो या सुख दे दो, रज़ा में जीना सिखा जाओ । मेरी स्वांसों की माला के……॥
तुम्हारा हो भजन हर क्षण, और चिन्तन भी तेरा हो। जहाँ देखूं वहाँ तुम हो, तुम्हीं तुम हर जगह छाओ॥ मेरी स्वांसों की माला के……॥
याचक बन के आया है, तेरे दर पर तेरा सेवक । करो बख़्शिश सेवा की, करम इतना कमा जाओ। मेरी स्वांसों की माला के……॥
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