भक्ति रस मोहे दीजिए गुरु देवन के देव हो – सतगुरु भजन

भजन – भक्ति रस मोहे दीजिए गुरु देवन के देव हो

तर्ज :- सारंगा तेरी याद में दिन हुए बैचेन हो

टेक : भक्ति रस मोहे दीजिए गुरु देवन के देव हो

और कछु नही चाहिए निसदिन तुम्हरी सेव हो

भक्ति रस मोहें दीजिए..

1. जगतारण करुणा सदन, पूर्ण सुख के धाम

सेवा सुमिरन में रहूँ, पल छिन आठों याम हो

कोटि कोटि मम बन्दना 2 कोटि कोटि प्रणाम हो.. – .भक्ति रस

2. गुरु की भक्ति जहाज़ है, भव सागर के माही

यम का त्रास मिटाये के, जो आवागमन छुड़ाही

तुम जो रहो सर पर सदा – 2 कोई कमी फिर नाहीं.. .. भक्ति रस

3. प्रेम डगरिया कठिन है, लम्बा पेड़ खजूर

चढ़े सो चाखे प्रेम रस, गिरे सो चकनाचूर हो

किरपा करो रंगरेज है – 2 रंग भर दो भरपूर हो… ………….भक्ति रस

4. कमल फूल बनकर रहूँ, सुमिरन में सुख पाँऊ

नाम आराधन में जिंऊ, सुरति शब्द ठहराँऊ हो

कागा से हँसा बनू – 2 चुग चुग मोती खाँऊ हो……… भक्ति रस

5. एक भरोसा आपका, आपमें है विश्वास

करुणा सागर कीजिए, मम हृदय में वास हो

तुम हो सत्गुरु चन्द्रमा, चातक दासन दास हो

भक्ति रस मोहें दीजिए, गुरु देवन के देव हो

और कछु नही चाहिए, निसदिन तुम्हरी सेव हो……भक्ति रस

मै तुझ को रिझाँलूगा पूजा का शुभ दिन है

महिमा का गुणगान करेगा जितना सुख पाएगा उतना

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