बुढ़ापे को कैसे रोकें

बुढ़ापे को कैसे रोकें – बुढ़ापा मनुष्य जीवन की एक प्राकृतिक अवस्था है, जिससे बचा नहीं जा सकता। लेकिन इसे टाला जरूर जा सकता है। आज की हमारी भाग-दौड़ की अनियमित दिनचर्या, अस्वास्थ्यकर भोजन, अनियमित निद्रा और तनाव समय से पहले बुढ़ापा आने के मुख्य कारण है।

आज बीस-तीस वर्ष के युवक-युवतियों के चेहरे पर भी झुर्रियाँ, सफेद बाल, शारीरिक कमज़ोरी जैसे बुढ़ापे के निशान मिलना आम बात है। आइए, इस बुढ़ापे को टालने के कुछ उपाए जानें व अपनाएं।

1. त्रिफला

त्रिफला तीन फलों से बनी एक महा आयुर्वेदिक औषधि है। ये तीन फल हैं- हरड़, बहेड़ा और आंवला । ये तीनों ही फल वात, पित्त और कफ़ जैसे त्रिदोषनाशक हैं। त्रिफला चूर्ण निम्न फलों का मिश्रण है, जिनके लाभ इस प्रकार हैं:

(क) आंवला या आमलकी

इसमें फाइबर, एंटी – ऑक्सीडेंट व खनिज पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं। विटामिन सी का सबसे बढ़िया स्रोत है। इसके सेवन से कब्ज़ और पेट की अन्य बीमारियों से बचाव होता है। संक्रमण से लड़ने में भी मदद करता है। यह एक एंटीएजिंग फल के रूप में प्रसिद्ध है।

(ख) बहेड़ा या विभीतकी

यह दर्द निवारक, एंटी ऑक्सीडेंट, लिवर को सुरक्षा प्रदान करने में उपयोगी है। इसमें श्वसन संबंधी रोगों और डायबिटीज़ को रोकने के गुण हैं। इसमें कई जैविक यौगिक जैसे ग्लूकोसाइड, टैनिन, गैलिक एसिड हैं, जिनके कारण यह स्वास्थ्य के लिए इतना लाभदायक है।

(ग) हरड़ या हरीतकी

इसे औषधियों का राजा भी। कहा जाता है। यह एक मां की तरह हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करती है। इसमें एंटी ऑक्सीडेंट, सूजन रोधी और बढ़ती उम्र को रोकने के गुण मौजूद हैं। इसे पेट, हृदय और मूत्राशय के लिए लाभदायक माना गया है।

त्रिफला के लाभ

त्रिफला को कायाकल्प करने वाली औषधि के रूप में माना जाता है। यह त्वचा की प्रोटीन का पुनः निर्माण करता है और उसकी नमी को बनाए रखता है। इसमें ओमेगा 3 फैटी एसिड्स और एंटी ऑक्सीडेंड्स,विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो त्वचा में झुर्रियां पड़ने से बचाते हैं। पेट संबंधी सब बीमारियों जैसे कब्ज़, बवासीर, अपचन, एसिडिटी व गैस आदि रोगों को दूर करता है।

शरीर में पोषक तत्वों की कमी को दूर करता है। नेत्र, त्वचा रोग, बाल झड़ना आदि रोगों से बचाव करता है।

सेवन की विधि

  • यदि कब्ज या पेट के रोग हों तो रात को एक चम्मच त्रिफला चूर्ण गरम पानी या दूध के साथ भोजन के बाद लें। त्रिफला रेचक का काम करता है।
  • त्रिफला हर तीन महीने लेकर 15 दिन के लिए छोड़ दें।
  • यदि वज़न घटाना हो तो रात को दो छोटे चम्मच त्रिफला चूर्ण एक गिलास पानी में भिगो कर रख दें। सुबह इसे गर्म करके एक चम्मच शहद या शक्कर मिलाकर खाली पेट लें। शक्कर में लौह तत्व है जो हीमोग्लोबिन बनाता है और खून की कमी को दूर करता है।

त्रिफला के प्रयोग में सावधनियाँ

नेत्र ज्योति बढ़ाने या नेत्र रोग दूर करने के लिए और आँख की मांसपेशियों को मज़बूत करने के लिए एक तांबे के बर्तन या मिट्टी के बर्तन या किसी भी बर्तन में 2 चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगो कर रख दें। सुबह कपड़े से छानकर उस पानी से आँखें धोएं। इससे आँखों की जलन और लालिमा दूर होती है। आँखें स्वस्थ रहती हैं।

  • त्रिफला के अधिक सेवन से डीहाइड्रेशन, डायरिया, पेचिश हो सकती है।
  • गर्मवती महिलाएं इसे न लें, विशेषतः प्रथम तीन महीने।
  • गिलोय गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाए जाते हैं। इसमें सूजननाशक व कैंसर रोधी गुण होते हैं। वात, पित्त, कफ का शमन करता है।
  • 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चे न लें।

योग मजर यह अल्जाइमर यानि भूलने की बीमारी और डिमेंशिया जो वृद्धावस्था में अक्सर हो जाते हैं, उन्हें दूर करने में सहायक है। त्वचा की झुर्रियों को कम करता है व चमक लाता है। गिलोय में कॉपर, लोहा, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मँगनीज़ भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। गिलोय इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाकर ब्लड शूगर कम करता है। नियमित प्रयोग से इम्यूनिटी पावर बढ़ती है, जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है।

सेवन विधि

दो-तीन चम्मच गिलोय जूस एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लें।

सावधानियाँ – • निम्न रक्तचाप के मरीज परहेज करें। • स्तन पान कराने वाली व गर्भवती महिलाएं न लें।

  1. फल और हरी सब्ज़ियाँ इनमें सभी विटामिन और एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोशिकाओं के क्षय होने को कम करते हैं। नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जो बुढ़ापे को टालते हैं।
  2. जंक फूड, शराब, तंबाकू जल्दी बुढ़ापा लाते हैं। अतः इन चीजों के सेवन से परहेज़ करें।
  3. योगासन और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे शरीर में होने वाली अपक्षयी (Degenerative) क्रियाएं धीमी हो जाती हैं और बुढ़ापा टलने लगता है।
  4. तनाव भी जल्दी बुढ़ापा लाता है। इसलिए तनावमुक्त

यह अल्जाइमर यानि भूलने की बीमारी और डिमेंशिया, जो वृद्धावस्था में अक्सर हो जाते हैं, उन्हें दूर करने में सहायक है। त्वचा की झुर्रियों को कम करता है व चमक लाता है। गिलोय में कॉपर, लोहा, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम, मैंगनीज़ भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं। गिलोय इन्सुलिन के स्राव को बढ़ाकर ब्लड शूगर कम करता है। नियमित प्रयोग से इम्यूनिटी पावर बढ़ती है, जिससे सर्दी-जुकाम समेत कई तरह की संक्रामक बीमारियों से बचाव होता है।

सेवन विधि

दो-तीन चम्मच गिलोय जूस एक कप पानी में मिलाकर सुबह खाली पेट लें।

सावधानियाँ – निम्न रक्तचाप के मरीज परहेज करें।

स्तन पान कराने वाली व गर्भवती महिलाएं न लें।

फल और हरी सब्ज़ियाँ

इनमें सभी विटामिन और एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोशिकाओं के क्षय होने को कम करते हैं। नई कोशिकाओं का निर्माण करते हैं, जो बुढ़ापे को टालते हैं।

जंक फूड, शराब, तंबाकू जल्दी बुढ़ापा लाते हैं। अतः इन चीजों के सेवन से परहेज़ करें।

योगासन और प्राणायाम के नियमित अभ्यास से शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है, जिससे शरीर में होने वाली अपक्षयी (Degenerative) क्रियाएं धीमी हो जाती हैं और बुढ़ापा टलने लगता है।

तनाव भी जल्दी बुढ़ापा लाता है। इसलिए तनावमुक्त रहें और मुस्कराइये एक चिर यौवन और ऊर्जावान जीवन जीने के लिए।

आनंद संदेश

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