भजन – तेरे मुखड़े में वो जादू है , बिन डोर खिँचा जाता हूँ
तर्ज :- भारत का रहने वाला हूँ भारत की बात
टेक :- तेरे मुखड़े में वो जादू है, बिन डोर खिँचा जाता हूँ मै जाना होता कहीं और मगर-तेरी और चला आता हूँ मैं
- मेरी जान है तू मेरे प्राण है तू मेरी दुनिया का अरमान है तू कोई किस नाते से माने, पर मेरे लिये भगवान है तू दिल की गहराई में जाकर, गुणगान तेरा गाता हूँ मैं जाना होता कहीं और..
- दरबार तेरा शाहाना है, दुनिया से अनोखा लगता है पल भर के लिये विस्मरण तेरा, विष मरण सरीखा लगता है कहती दुनिया जो कहती फिरे, तेरे प्रेम में मदमाता हूँ मैं जाना होता कहीं और…
- तुम से वो दात मिली जिस को, यह सारा जमाना तरसता है काबा काशी की कौन कहे, अब घर में रंग बरसता है। क्या आलम होता जब तेरे ख्यालों में खो जाता हूँ मैं जाना होता कहीं और…
- फिर भी यह दो आँखे मेरी दीदार की प्यासी रहती हैं तन्हाई में सुख मिलता है महफिल में उदासी रहती है करता हूँ याद तुझ को बख्शिश हर रोज़ नई पाता हूँ मैं जाना होता कहीं और..
- तू उस मुकाम पर ले आया जहाँ से लौट के जाना मुश्किल है तब आँख लगाना मुश्किल था अब आँख चुराना मुश्किल है जिस पल अब तेरी याद न हो उस पल से घबराता हूँ मैं जाना होता कहीं और..
- तू चाँद है और चकोर हूँ मैं तू शम्मा मैं परवाना हूँ तेरे दरबार का ऐ दाता मैं मस्ताना दीवाना हूँ तेरे प्यार प्रेम की खुशबू से सांसो को महकाता हूँ मैं जाना होता कहीं और..