
गुरु कछू तो बतइयो मोहे ज्ञान, 
की नैया पार कैसे लगे ॥
बेटा तो मेरा कुछ नहीं कहता, 
बहू ने भर दिए कान 
मैंने कर दिए नाम मकान, 
की नैया पार…
बहुअन तो मेरी यूं उठ बोली, 
सुन सासु मेरी बात, 
चाबी दे दो हमारे हाथ, 
तुम्हें तो कुछ याद ना रहे ॥
की नैया पार….
पोता तो मेरा यूं उठ बोल, 
सुन दादी मेरी बात 
सुन अपनी बाहर बिछाय लियो खाट, 
की सारी रात खो खो करो ||
की नैया पार…
 बाहर से मेरा बूढ़ा आया, 
सुन गोरी मेरी बात चलो 
गैरों में बिछावे अपनी खाट, 
की जीवन मेरा वहीं पर कटे
की नैया पार…
राम नाम का सुमिरन कर लो, 
भजन करो दिन रात 
तेरा गुरु ही लगावे नैया पार, 
जीवन तो तेरा सुख से कटे
की नैया पार…
मन्दिर के आस पास डोलें गजानन हमसे न बोलें