साधना पर कविता
पथ साधना का बड़ा निराला,
अध्यात्म भाव जगाने वाला।
जीवों को यह सब तरह से निहाल कर जाए,
साधना नहीं कंगाल बनाए ।
प्रेरणा का पुंज है यह, मानो मधुवन-कुंज है यह।
साधक का यह हुनर निखारे, एक तप बड़ा यह है प्यारे ।
कल्याण मार्ग का विस्तार,
साधना करे झट तैयार ।
अष्टांग योग साधक करे, रे ! साधना का जब दम भरे ।
मोह-माया से रह कर दूर, साधक करे साधना भरपूर । –
देहगत आसक्ति को नकारे, साधक करे कर्म न्यारे ।
‘प्रसाद’ भी साधना कर जाए, बल पौरुष को खूब बढ़ाए।
-रामप्रसाद शर्मा ‘प्रसाद’