कहा कियो हम आइ करि, कहा कहेंगे जाइ । इत के भये न उत के, चाले मूल गंवाई ॥
'कबीर' नौबत आपणी, दिन दस लेहु बजाइ । ए पुर पाटन, ए गली, बहुरि न देखे आइ ॥
पाहन पूजे हरि मिलें, तो मैं पूजों पहार । याते ये चक्की भली, पीस खाय संसार ।।
गुरु गोविंद दोउ खड़े, काके लागू पाँय । बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो मिलाय ॥