कई बार हम अत्यन्त प्रयत्न करने पर भी असफल हो जाते है,ऐसा क्यों ?

अत्यन्त प्रयत्न

उत्तर – प्रयत्न कभी भी व्यर्थ नहीं जाता। यदि एक पत्थर ग्यारह बार चोट लगाने पर टूटता है तो तुम्हें ग्यारह चोटें लगानी पड़ेंगी।

यदि ग्यारहवीं चोट से पहले तुम कहो कि यह पत्थर टूटता क्यों नहीं, तो यह तुम्हारी कमज़ोरी है। इसीप्रकार मनुष्य को जीवन में निरन्तर आध्यात्मिक प्रयत्न करते रहना चाहिये। एक दिन ऐसा अवश्य आयेगा जब उसके प्रयत्न सफलता का रंग लायेंगे।

राजा ब्रूस कितनी ही बार लड़ाई में पराजित हुआ। युद्ध में हारते-हारते वह दु:खी और निराश हो गया। उसने लेटे हुए ऊपर की ओर देखा कि एक मकड़ी दीवार पर चढ़ने की कोशिश करती है और बार-बार नीचे गिर जाती है।

कई बार गिरने के पश्चात् वह छत्त तक पहुँचने में सफल हो गई। वहाँ पहुँचकर उसने अपना जाल बुनना आरम्भ कर दिया। यह देखकर राजा को प्रेरणा मिली। उसने सोचा कि यदि मकड़ी अन्त में सफल हो सकती है। तो उसे भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिये। अन्त में उसके प्रयत्नों ने सफलता का मुकुट पहना ।

इसीप्रकार मनुष्य के प्रयत्न भी यदि उसी समय फलीभूत नहीं होते तो निराश नहीं होना चाहिये। उसे निश्चय होना चाहिये। कि सद्गुरु की शरण प्राप्त करके वह सही मार्ग पर प्रयत्नशील है।

आध्यात्मिक सूक्ति

आध्यात्मिक उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न और सद्गुरु की कृपा दोनों ही आवश्यक हैं।

Leave a Comment