गाय को धरती माता के समान पूज्य माना जाता है

गाय

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गाय मनुष्य की प्राचीनकाल से अभिन्न मित्र रही है। गाय एक बहुउपयोगी पशु जिसका वैज्ञानिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से बहुत महत्व होता है। विज्ञान ने भी गाय की महत्ता को स्वीकार किया है।

गाय के दूध को अमृत माना जाता है । गाय को एक बहुत ही पवित्र पशु माना जाता है।भारत में करोड़ों हिन्दू लोग गाय की पूजा करते हैं।

गाय की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह मानव जाति को बहुत कुछ देती है लेकिन बदले में कुछ नहीं मांगती है। बहुत से परिवार गाय के दूध व घी को बेचकर अपना जीवन यापन करते हैं।

आकृति और प्रकार :

गाय का शरीर बहुत ही बड़ा और शक्तिशाली होता है। गाय के चार पैर, दो सींग और एक लम्बी पूंछ होती है। गाय के दो कान होते हैं। गाय की पूंछ के निचले हिस्से में ढेर सारे बाल होते हैं।

ये बाल बहुत रंग के होते हैं जिनमें लाल रंग के साथ काले, भूरे और सफेद रंग के बाल होते हैं।गाय के जबड़े के सिर्फ नीचे के हिस्से में दांत होते हैं। गाय के पैरों के खुर अलग-अलग होते हैं।

गाय की आँखें बड़ी व खूबसूरत होती हैं। गाय कई प्रकार की होती है। गाय के रंग के आधार पर गायों के अनेक प्रकार होते हैं। कुछ गाय काली रंग की होती हैं, कुछ सफेद रंग की होती हैं, कुछ लाल रंग की होती है तो कुछ मिश्रित रंगों की होती हैं। जंगली गाय जंगल में रहती हैं।

गाय का धार्मिक महत्व :

हिन्दुओं के तीज-त्यौहार बिना गाय के घी के पूरे नहीं होते हैं। त्यौहार के दिन घर को गाय के गोबर से लिपा जाता है। उस पर भगवान की प्रतिमाओं को बैठाया जाता है।

बहुत से लोग किसी भी जरूरी काम को करने से पहले गाय के दर्शन करना बहुत ही शुभ मानते हैं। गाय के गोबर को खेती के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।

गाय के अमृत के समान दूध और अन्य गुणों की वजह से इसे धरती माता के समान पूज्य माना जाता है। इसलिए गाय को गौ माता भी कहा जाता है।

गांवों में गाय के गोबर से बने उपलों को ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह बहुत ही दुःख की बात है कि प्रोद्योगिकी के विकास के साथ हम गाय की महत्ता को भूलते जा रहे हैं।

भगवान श्री कृष्ण के जीवन में गाय का बहुत महत्व रहा है। भगवान श्रीकृष्ण का बचपन ग्वालों के बीच बीता है। भगवान श्रीकृष्ण को लोग गोविंदा व गोपाल कहकर बुलाते थे जिसका अर्थ होता है गायों का रक्षक व दोस्त।

गाय का दूध बच्चों एवं रोगियों के लिए बहु-उपयोगी होता है। गाय को एक परिवार के सदस्य की तरह माना जाता है।

प्राचीनकाल में गायों की संख्या से व्यक्ति की संपन्नता का पता चलता था।

गाय के लाभ:

गाय दूध देती है जिससे दही, पनीर, घी, मक्खन और कई प्रकार के मिष्ठान बनाए जाते हैं। गाय के दूध से बहुत सारी मिठाईयां भी बनती हैं।

जब उसका बछड़ा बड़ा हो जाता है तो बैल बनकर कृषि के काम आता है। गाय का गोबर खाद व ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

गाय के बछड़ा हल चलाने, बैलगाडी चलाने व राहत चलाने के काम में आता है। गाय के गोबर का प्रयोग उपले बनाने में, खेतों में खाद बनाने व कच्चे फर्श को लीपने में किया जाता है। गाय के मूत्र का प्रयोग कैंसर जैसी घटक बिमारियों के इलाज में भी किया जाता है।

गाय की वर्तमान दशा :

मानव समाज के लिए इतने उपयोगी होने के बावजूद भी गाय की वर्तमान दशा बहुत बुरी है। आज दुकानों में गायों का मांस बेचा और खाया जाता है।

जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे चंद पैसों के लिए कटने के लिए भेज दिया जाता है। हमारा कर्तव्य है कि हम गाय का आदर और उसके प्राण की रक्षा करें।

उपसंहार :

गाय बहुत ही प्यारा और अच्छा पशु है हमें इस प्यारे और अच्छे पशु का ख्याल रखना चाहिए। यह हमारे लिए बहुत ही शर्म की बात है कि जब गाय दूध देना बंद कर देती है तो उसे छोड़ दिया जाता है।

हमें गाय के साथ दया का व्यवहार करना चाहिए और उसकी देखभाल करनी चाहिए।

गाय का मनुष्य के जीवन में बहुत महत्व होता है | गाय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की तो आज भी रीढ़ है। शहरों में जिस पॉलिथीन का उपयोग किया जाता है वह ऐसे ही फेंक दिया जाता है उसे खाकर गायों की असमय मौत हो जाती है।

इस दशा में भी हमें गंभीरता से विचार करने होगा ताकि आस्था और अर्थव्यवस्था के प्रतीक गोवंश को बचाया जा सके।

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